भाई अमन यह काम वर्ष 2009 से कर रहे है। भाई अमन का मकसद सिर्फ अपने रब को राजी करना है,भाई अमन के वालिद साहब की एक नसीहत थी, वे कहते थे- बेटा जो कोई हमारे घर पे आये वो खाली हाथ ना जाए और भाई अमन को देखने पर किसी शायर का मुझे शेर याद आता है, साथही वे दूसरी अहम बात यह कहते हैं कि अपने मां-बाप की खिदमत करो. भाई आगे कहते है कि जो शख्स दीन की दावत देता हूं
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भाई अमन महाराष्ट्र का वाइट टाइगर
यवतमाल के भाई अमन आज किसी तारिफ के मोहताज नही है, जिन्हे सभी व्हाईट टाइगर भी कहते है। भाई अमन का मकसद ही सिर्फ गरिबों की सहायता करना है। गरीब, जरूरतमंदों की मदद करना, गरीबों को सहारा देते हुए ही उन्हे देखा गया है। कोरोनाकाल में उनके द्वारा किए गए सराहनिय कार्य सभी को परिचित है।
भाई अमन ने लगातार गरीबों यतीमो के लिए खाने का और जिनके घर पर राशन नहीं है, उनके घर राशन पहुंचाने का काम किया है । इसके लिए उन्हे कई संस्था संगठनों ने करोना योद्धा के रूप में सम्मानित किया है। वे अल्लाह का करम है के अल्लाह ने एक ऐसी शख्सियत यवतमाल शहर में रखा है कि जो कभी भी गरीबों की मदद के लिए आगे रहता है।
मेरे जिंदगी का मकसद मेरे दीन की सरफराज़ी
मैं इसीलिए मुसलमान, मैं इसीलिए नमाज़ी
ऐसे शख्स के बारे में बस इतनाही कह सकते है कि,
लाश संदल से महेकती है तो हैरत क्या है
तुम को मालूम नही शौके शहादत क्या है
हम तो ज़िन्दा है बस कौम की खिदमत के लिए
ज़िन्दगी वरना हमे तेरी ज़रूरत क्या है...
भाई अमन अपने इस कार्य का श्रेय अपने माता पिता को देते है, उन्होने इस कार्य के लिए उन्हे प्रेरित किया है। यवतमाल शहर के पुनम चौक में रोज सुबह वे गरीब मजदुरों को अच्छी क्वालिटी का नाश्ता करवाते है। साथही स्थानिय सरकारी अस्पताल में दुर दराज के देहातों से आए मरिज और उनके परिजनों को वे 2 टाईम सुबह और शाम का भोजन देते है।
वर्ष 2009 से वे ठंड के मौसम में गरीबों को कंबल बाट रहे है। साथही गरीब मरिजों के लिए उनके द्वारा फ्री एम्बुलंस सेवा शुरू की गई है। किसी मजदुर के पास अस्पताल में इलाज करवाने पैसे ना हो तो, गाव जाने के लिए पैसे ना हो तो उनकी सहायता वे करते है। गरीब जरूरतमंद लोग हमेशा उनकी तरक्की के लिए दुवा करते है। हिंदू मुस्लीमों के धार्म त्यौहारों में भी भाई अमन हमेशा शरीक होते है।
उनके अगणित ऐसे सामाजिक कार्य है, यवतमाल शहर के शहीद सोसाइटी में उनका कार्यालय खिदमते खल्क(समाजसेवा) है,जहा से कोई जरूरतमंद गरीब मायुस होकर नही लौटता। वे सिर्फ मानवता यही धर्म मानते है, लॉकडाउन के दौरान वे गरिबों के दाता थे, बाहर शहरों से पैदर आए मजदुरों की भी सहायता उन्होने की है। अपने कार्य से उन्होने सभी समाज धर्म के लोगों के मन में जगह बनाई है।
भाई अमन अँड फ्रेंड्स ग्रुप के माध्यम से भी उनका समाजसेवा का कार्य शुरू रहता है। गरीबों के लिए खाना बनाने का कार्य वे स्वयं भी करते है। ग्रीष्म के मौसम में वे गरीबों के लिए पानी की व्यवस्था भी करते है। शहर में किसी गरीब पर संकट आता है तो वे सहायता के लिए आगे रहते है, उनके द्वारा हो रहा जनसेवा का कार्य शायद ही किसी ने किया होगा, उनके कार्य की सराहना सभी लोग करते है।